Ad

शिवराज सिंह चौहान

एमपी के सीएम शिवराज की समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी घोषणा की टाइमिंग पर सवाल

एमपी के सीएम शिवराज की समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी घोषणा की टाइमिंग पर सवाल

सीएम ने आखिरी दौर में की घोषणा, अब सर्वर डाउन

पहले ही उपज बेच चुके हैं कुछ किसान, चूक गए चौहान मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मूंग की सरकारी खरीद शुरू करने का निर्णय लिया है। किसान हित में मुख्यमंत्री के इस निर्णय को देर से लिया गया फैसला बताया जा रहा है। मध्य प्रदेश में मूंग की खेती करने वाले किसानों के लिए समर्थन मूल्य पर उपज खरीदने के सरकारी निर्णय की जरूरी खबर आई तो जरूर है, लेकिन देरी से। गुड न्यूज ये भी है कि सरकार ने इस साल समर्थन मूल्य में आंशिक लेकिन वृद्धि जरूर की है।



ये भी पढ़ें:
केन्द्र सरकार ने 14 फसलों की 17 किस्मों का समर्थन मूल्य बढ़ाया

टाइमिंग पर सवाल -

भले ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह एक किसान समर्थित फैसला हो, लेकिन इसकी टाइमिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं। उन पर मूंग के समर्थन मूल्य की घोषणा के संदर्भ में चूक गए चौहान वाली कटूक्तियां की जा रहीं हैं।

उपज बेच चुके किसान -

किसानों का कहना है कि, मध्य प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदी करने में देर कर दी है। इस घोषणा एवं खरीदी संबंधी रजिस्ट्रेशन आदि की प्रक्रिया पूरी होने के पहले तक अधिकांश किसानों ने कृषि उपज मंडी में ओने-पोने दाम पर मूंग की अपनी उपज बेच दी है।



ये भी पढ़ें:
खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का क्रियान्वयन

प्रक्रिया इस बार -

मध्य प्रदेश में इस साल समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का रजिस्ट्रेशन सिर्फ सहकारी सोसायटी के माध्यम से हो रहा है। ऐसी स्थिति में पंजीकरण का अन्य कोई विकल्प न होने से भी किसान असमंजस में हैं, कि वे किस तरह समर्थन मूल्य पर उपज का रजिस्ट्रेशन कराएं। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बरेली आदि क्षेत्रों में ग्रीष्म कालीन सीजन में गेहूं, चना, कटाई के फौरन बाद मूंग की खेती शुरू कर दी जाती है। इस चक्र के अनुसार इस बार भी क्षेत्र के कृषकों ने लगभग 18 से 20 हजार हेक्टेयर भूमि में मूंग की बोवनी की थी।



ये भी पढ़ें:
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों की खरीद जारी रहेगी

तंत्र की खामी -

इंटरनेट आधारित समर्थन मूल्य पर कृषि उपज के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया तंत्र की सबसे बड़ी समस्या सर्वर डाउन होने की है। किसानों ने जी तोड़ मेहनत कर मूंग उपजाई थी, लेकिन सरकारी खरीद नीति ने फिलहाल किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। कई जगहों पर सर्वर डाउन होने की वजह से पंजीयन नहीं हो पा रहे हैं। पंजीकरण सिर्फ सहकारी सोसायटी से होने के कारण दूसरा विकल्प न होने से भी किसान मूंग की उपज के पंजीकरण से वंचित हैं।



ये भी पढ़ें:
अब सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को मिलेगा सरकार की योजनाओं का लाभ

इनको किया था दायरे में शामिल -

सरकार ने पूर्व में धान, गेहूं, चना आदि उपज के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा की थी, लेकिन सरकार के द्वारा हाल ही में मूंग की उपज को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया गया।

पिछले माह के मुकाबले अंतर -

पिछले साल सरकार ने मूंग के बारे में 15 जून से समर्थन मूल्य की घोषणा की थी। इस साल सरकार ने 18 जुलाई से समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। हालांकि इस बार सरकार ने समर्थन मूल्य में 79 रुपए की वृद्धि की है।

समर्थन मूल्य तब और अब -

सरकार ने इस वर्ष मूंग का समर्थन मूल्य 79 रुपए बढ़ाकर 7275 रुपए तय किया है। पिछले साल मूंग का समर्थन मूल्य 7196 रुपए था। आंकड़ों के मान से इस बार बाडी क्षेत्र में 18 से 20 हजार हेक्टेयर भूमि में मूंग की बोवनी हुई।
मध्य प्रदेेश में एमएसपी (MSP) पर 8 अगस्त से इन जिलों में शुरू होगी मूंग, उड़द की खरीद

मध्य प्रदेेश में एमएसपी (MSP) पर 8 अगस्त से इन जिलों में शुरू होगी मूंग, उड़द की खरीद

एमपी में मूंग-उड़द खरीद पंजीकरण पूर्ण

32 जिलों में 741 खरीद केन्द्र निर्धारित

मध्य प्रदेश में मिनिमम सपोर्ट प्राइज (Minimum Support Price/MSP/एमएसपी) अर्थात न्यूनतम समर्थन मूल्य पर
मूंग (Mung bean) और उड़द की खरीद 8 अगस्त से शुरू होगी। इन उपजों के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस बीच एमपी के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खरीद प्रक्रिया संबंधी समीक्षा बैठक में अहम निर्देश दिए हैं। भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम के तहत, मध्य प्रदेश मेें ग्रीष्मकालीन फसल मूंग एवं उड़द की उपज खरीद संबंधी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। एमपी मेें समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द का उपार्जन 8 अगस्त से प्रारंभ होगा। मध्य प्रदेश में मूंग और उड़द की सरकारी मूल्य पर उपार्जन प्रक्रिया 30 सितम्बर तक जारी रहेगी। एमपी में ग्रीष्मकालीन मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय संबंधी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। मध्य प्रदेश में मूंग को समर्थन मूंग पर बेचने हेतु किसानों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस 18 जुलाई से शुरू हुई थी। इधर मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी के रजिस्ट्रेशन (Registration for purchase of moong in Madhya Pradesh) के बारे मेंं बीजेपी नेता शिवराज सरकार के देरी से फैसला लिए जाने पर किसानों में रोष भी है। हालांकि पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार 8 अगस्त से समर्थन मूल्य पर मूंग की क्रय प्रक्रिया शुरू करेगी।

किसान नहीं व्यापारी का भला!

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मूंग उपज के लिए देर से समर्थन मूल्य प्रदान करने के कारण किसान के बजाए इसका लाभ व्यापारियों को मिल सकता है। प्रदेश के तमाम जिलों से जुड़ी खबरों के मुताबिक व्यापारी मंडियों में 4200 से 5800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से किसानों से मूंग खरीद चुके हैं। समर्थन मूल्य की बाट जोह रहे मूंग की खेती करने वाले किसानों की राय में सरकार का फैसला देरी से आया है, वे पहले ही अपनी फसल व्यापारियों को औने पौने दाम पर हवाले कर चुके हैं।


ये भी पढ़ें: मूंग का भाव एमएसपी तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की कवायद शुरू
किसानों का कहना है कि, व्यापारियों ने उमदा किस्म की मूंग भी उम्मीद से कम दामों पर खरीदी। किसान मजदूर संघ ने जुलाई के महीने में समर्थन मूल्य पर मूंग उपज की खरीद प्रक्रिया शुरू करने के सरकार के निर्णय को दिमागी दिवालियापन करार दिया है। संघ के मुताबिक जो मूंग जून में खरीदी जानी थी उसके लिए देर से फैसला लेना किसान हितैषी नहीं कहा जा सकता। एमपी में मई के आखिरी और जून के पहले सप्ताह तक मूंग पककर तैयार हो जाती है। ऐसे में अब तक प्रदेश के अधिकांश कृषक मूंग की उपज बेच चुके हैं।

इतना लक्ष्य

जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में इस साल 2 लाख 25 हजार टन मूंग खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। अचरज वाली बात ये भी है कि, इस बार एमपी में मूंग की पैदावार 15 लाख टन से भी अधिक के आसपास बताई जा रही है।

इस दिन तक होगी खरीदी

ग्रीष्मकालीन उपज मूंग एवं उड़द संबंधी उपार्जन प्रक्रिया कार्य की मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा की। इस दौरान सीएम चौहान ने भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम के तहत समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन उपज मूंग एवं उड़द का एमपी में उपार्जन 8 अगस्त से 30 सितम्बर तक करने का निर्णय लिया। देर से निर्णय लेकर सीएम शिवराज ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। अव्वल तो ज्यादा उत्पादित मूंग की सरकार को समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं करना पड़ेगी, दूसरे प्राइज़ गारंटी की पेशकश से सरकार की इमेज भी खतरे मेंं नहीं पड़ेगी। भ्रष्टाचार मुक्त उपार्जन प्रक्रिया के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए बैठक में अहम निर्देश दिए।

सीएम शिवराज की दो टूक

किसानों के नाम पर व्यापारी मूंग और उड़द ना बेच सकें इस बारे में खास सतर्कता बरतने के लिए भी सीएम ने समीक्षा बैठक में निर्देशित किया। उन्हेोने सिर्फ किसानों से ही मूंग और उड़द खरीदने के सख्त निर्देश दिए। लघु कृषकों को इन फसलों के लिए प्रक्रिया में प्राथमिकता देने के लिए सीएम ने निर्देश दिए।


ये भी पढ़ें: एमपी के सीएम शिवराज की समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी घोषणा की टाइमिंग पर सवाल

खरीदी केन्द्र निर्धारित

जानकारी के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग एवं उड़द की उपार्जन प्रक्रिया के लिए खरीद केंद्र निर्धारित कर दिए गए हैं। मध्य प्रदेश में 741 खरीदी केंद्रो के माध्यम से मूंग एवं उड़द की सरकारी तौर पर खरीद की जाएगी।

पंजीयन की स्थिति

मध्य प्रदेश के 32 जिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की उपज बेचने के लिए 2 लाख 34 हजार 749 कृषकों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। कुल 6 लाख एक हजार हेक्टेयर रकबे का योजना के तहत रजिस्ट्रेशन प्रदेश के किसानों ने कराया है। उड़द की बात करें तो कुल 10 जिलों में किसानों ने पंजीयन प्रक्रिया में सहभागिता की है। प्रदेश के कुल 7 हजार 329 कृषकों द्वारा उड़द फसल के लिए पंजीयन कराया गया है। इसमें 10 हजार हेक्टेयर रकबे का पंजीकरण उपार्जन प्रक्रिया के तहत किया गया है। आपको बता दें, भारत सरकार की कृषि उपज मूल्य समर्थन योजना की आदर्श रूपरेखा के अनुसार रोजाना प्रति कृषक 25 क्विंटल उपज का उपार्जन किया जाना प्रस्तावित है।

इतना मिलेगा दाम

कृषि विपणन वर्ष 2022-23 में मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7 हजार 275 रूपए (7,275 रु.) प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसी तरह उड़द उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 6 हजार 300 रूपए प्रति क्विंटल प्रदान किया जाएगा।


ये भी पढ़ें: किसानों के लिए खुशी की खबर, अब अरहर, मूंग व उड़द के बीजों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलेगी

मूंग खरीदने निर्धारित जिले

बालाघाट, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, रायसेन, हरदा, सीहोर, जबलपुर, देवास, सागर, गुना, खण्डवा, खरगोन, कटनी, दमोह, विदिशा, बड़वानी, मुरैना, बैतूल, श्योपुरकला, भिण्ड, भोपाल, सिवनी, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, छतरपुर, उमरिया, धार, राजगढ़, मण्डला, शिवपुरी और अशोकनगर जिलों को ग्रीष्मकालीन मूंग की सरकारी दर पर खरीदी के लिए चुना गया है।

इन 10 जिलों में होगी उड़द की खरीदी

जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, पन्ना, मण्डला, उमरिया और सिवनी सहित कुल 10 जिलों में उड़द की खरीदी प्रक्रिया आयोजित होगी। मध्य प्रदेश में एमएसपी पर 8 अगस्त से शुरू होने वाली मूंग क्रय प्रक्रिया के लिए 7 हजार 275 रूपए (7,275 रु.) प्रति क्विंटल का भाव किसानों से खरीदने के लिए तय किया गया है।
मध्य प्रदेश के किसान लहसुन के गिरते दामों से परेशान, सरकार से लगाई गुहार

मध्य प्रदेश के किसान लहसुन के गिरते दामों से परेशान, सरकार से लगाई गुहार

इस साल मध्य प्रदेश के साथ कई अन्य राज्यों में लहसुन की अच्छी फसल हुई है। लेकिन लहसुन के अच्छे भाव न मिलने के कारण मध्य प्रदेश के किसान बेहद चिंतित नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन बेहद सस्ते दामों में बिक रहा है जिससे किसान बेहद परेशान है, क्योंकि यदि लहसुन मिट्टी के मोल बिका तो किसानों की लागत भी नहीं निकल पाएगी। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=F5rx-hgX2eo&t=1s[/embed] किसानों को इस साल लहसुन की खेती में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें किसान लहसुन का सही भाव न मिलने के कारण या तो जानवरों को खिला रहे हैं या नदी में फेंक रहे हैं। लहसुन के लगातार गिरते भावों के कारण बहुत सारे किसान अपनी फसल को मंडी में ही फेंककर घर जा रहे हैं।

ये भी पढ़ें: भोपाल में किसान है परेशान, नहीं मिल रहे हैं प्याज और लहसुन के उचित दाम
लहसुन के गिरते भावों से परेशान आज इंदौर के किसान, इंदौर के सांसद के घर पर पहुंचे। यहां पर उन्होंने फसल के गिरते हुए भावों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किया गया। इस दौरान किसानों ने सांसद को ज्ञापन सौंपा जिसमें किसानों को उनकी फसलों का उचित भाव दिलाने का आग्रह किया गया। साथ ही किसानों ने सांसद से भावांतर की बकाया राशि के भुगतान की मांग भी की। इस दौरान सांसद ने किसानों से कहा कि वो इन सभी समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करेंगे। प्रदर्शन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक श्री रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि हम सिर्फ किसानों का दर्द माननीय सांसद महोदय से बताने आये हैं। क्योंकि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा जिससे किसान तनाव में हैं। किसानों को अगर इस खेती में घाटा लगा तो उन्हें अगली बुवाई करने के लिए परेशानियों का सामना करना पडेगा।

ये भी पढ़ें: हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें
इस दौरान किसानों ने इंदौर में गणेश शंकर विद्यार्थी प्रतिमा से ओल्ड पलासिया तक जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। यह जुलुस सासंद के कार्यालय के सामने समाप्त हुआ। भवांतर राशि के भुगतान में हो रही देरी को लेकर सांसद ने कहा कि इसकी जानकारी मुझे अभी ही मिली है, अगर इसमें कोई गड़बड़ी हो रही है तो इसका निराकरण शीघ्र ही किया जाएगा। लहसुन के गिरते हुए भावों को लेकर राजधानी भोपाल में आला अधिकारियों के बीच बैठकों का दौर चल रहा है। आज से विधानसभा का मानसून सत्र भी प्रारम्भ हो चुका है, हो सकता है इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों के पक्ष में कोई बड़ा फैसला लें। जिससे किसानों को लहसुन की खेती में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके।

ये भी पढ़ें: लहसुन को कीट रोगों से बचाएं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि प्रदेश में किसानों के मित्र के रूप में है, ऐसे में वो किसानों को लेकर मॉनसून सत्र में कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। मुख्यमंत्री अक्सर किसानों के हित की बात करते हैं और किसानों के उत्थान के लिए उन्होंने अभी तक कई योजनाएं चलाई हैं, जिनसे किसानों को फायदा भी हुआ है। इन योजनाओं की सहायता से किसानों का उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
अब नहीं होगी किसानों को उर्वरकों की कमी, फसलों के लिए प्रयाप्त मात्रा में मिलेगा यूरिया और डी ए पी

अब नहीं होगी किसानों को उर्वरकों की कमी, फसलों के लिए प्रयाप्त मात्रा में मिलेगा यूरिया और डी ए पी

किसानों को फसलों की अच्छी पैदावार लिए पर्याप्त मात्रा में यूरिया (urea) और डी ए पी (DAP) की आवश्यकता होती है। पिछले साल किसानों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक न उपलब्ध होने की वजह से बहुत समस्या आयी थी, जिसको ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार उर्वरकों की उपलब्धता पूर्ण मात्रा में करने की तैयारी में जुटी हुई है। साथ ही किसानों को सूचित किया गया है कि उर्वरकों की तरफ से किसानों को बिल्कुल चिंता करने की आवश्यता नहीं है, भरपूर मात्रा में यूरिया और डी ए पी का प्रबंध है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने स्वयं उर्वरकों की प्रबंधन प्रणाली की समीक्षा की है। शिवराज चौहान केंद्र सरकार के सहयोग से भरपूर मात्रा में उर्वरकों की पूर्ति करने में सफल रहे हैं। अप्रैल से लेकर अब तक १९.०९ लाख मीट्रिक टन यूरिया, ८.५८ लाख मीट्रिक टन सिंगल सुपर फॉस्फेट और ३. ४२ लाख मीट्रिक टन एनपीके (NPK) की व्यवस्था हो चुकी है।


ये भी पढ़ें: वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट, जानें क्या होगा भारत में इसका असर
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान जी की पहचान किसान मित्र के रूप में उभर कर सामने आ रही है। वह किसानों के लिए कई प्रकार की कल्याणकारी योजनायें लागू करते रहते हैं। दशहरा से पहले उन्होंने किसानों के खातों में अतिवृष्टि व बाढ़ से हुए नुकसान से राहत देने के लिये सहायक धनराशि ट्रांसफर की है। अब रबी की फसल के लिए किसानों को यूरिया और डी ए पी आदि की कमी न रहे, इसलिए मध्य प्रदेश सरकार पूर्व से ही यूरिया और डी ए पी का उचित प्रबंध करने में जुट गयी है।

उर्वरकों के वितरण का क्या प्रबंध होगा ?

उर्वरकों का पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद भी सही प्रकार से वितरण करना एक मुख्य समस्या रही है। इसलिए मध्य प्रदेश सरकार वितरण प्रणाली को बेहतर और प्रभावी बनाने की हर संभव कोशिश कर रही है, जिससे किसी भी किसान को उर्वरकों के लिए इंतज़ार न करना पड़े और उसके पास समय से ही पूर्ण मात्रा में यूरिया इत्यादि उपलब्ध हो सके। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान का सख्त निर्देश है कि उर्वरकों की उपलब्धता से सम्बंधित किसी भी किसान की कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए और जिन किसानों की शिकायत आयी हों, उनका जल्द से जल्द निराकरण किया जाये।


ये भी पढ़ें: अब किसानों को नहीं झेलनी पड़ेगी यूरिया की किल्लत – बंद पड़े खाद कारखानों को दोबारा खोला जाएगा

आखिर किस कारण सहकारिता विभाग से कम हुआ उठान?

सहकारिता विभाग से उर्वरकों के कम उठान के सन्दर्भ में कृषि विभाग के मुख्य सचिव अजित केसरी जी का कहना है कि राज्य में उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, मध्य प्रदेश सरकार उर्वरकों के लिए केंद्र सरकार का सहयोग ले रही है। केंद्र की तरफ से मध्य प्रदेश के किसानों के लिए भरपूर उर्वरक प्रदान किये जा रहे हैं, यही कारण है कि सहकारिता विभाग से उर्वरकों के उठान में बेहद कमी देखने को मिल रही है। साथ ही जनपद विपणन अधिकारियों को किसानों की उर्वरक सम्बंधित मांग को अतिशीघ्र पूर्ण करने का आदेश है।
इस राज्य के लाखों किसानों के खाते में भेजे गए 140 करोड़ रुपये, इस तरह करें जाँच

इस राज्य के लाखों किसानों के खाते में भेजे गए 140 करोड़ रुपये, इस तरह करें जाँच

मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत एमपी के 7 लाख से अधिक कृषकों को 140 करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि स्थानांतरित की जा चुकी है। किसानों को दो किस्तों में 4,000 रुपये भेजे जाते हैं। कृषि क्षेत्र की उन्नति एवं प्रगति जब ही संभव है, जब कृषकों की आर्थिक हालत सुद्रण रहेगी एवं कृषकों की आमदनी में वृद्धि हेतु बहुत सारी कोशिशें की जा रही हैं। खेती की लागत को कम करने की पहल की जा रही है। 

केंद्र एवं राज्य सरकारें विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को आर्थिक ताकत दे रही हैं। इसी क्रम में केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना जारी की है। इस योजना के अंतर्गत करोड़ों कृषकों के खाते में वार्षिक 6,000 रुपये दो-दो हजार रुपये की किस्तों में सीधे तौर पर स्थानांतरित किए जाते हैं। राज्य सरकारें भी स्वयं के स्तर पर कृषकों को आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करती हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश की सरकार ने भी मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना जारी की है, इसके अंतर्गत वार्षिक 4,000 रुपये प्रदेश के कृषकों को प्रदान किए जाते हैं।

7 लाख किसानों के खाते में 140 करोड़ रुपये हस्तांतरित

हाल ही, में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत 7 लाख किसान परिवारों को 140 करोड़ रुपये की धनराशि अंतरित की गई है। यह धनराशि रीवा संभाग में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डायरेक्ट किसानों के खाते में हस्तांतरित की है। प्रदेश के लाखों किसानों को इस योजना के जरिए काफी फायदा पहुँचाया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 4,000 रुपये की आर्थिक सहायता किसानों को दी जाता है। यह धनराशि प्रत्येक 6 माह में हस्तांतरितकी जाती है। इस योजना का सर्वाधिक लाभ उन किसानों को प्राप्त होता है। जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत वार्षिक 6,000 रुपये की सहायक धनराशि का फायदा उठाते हैं।

खाते में पैसे आए कि नहीं कैसे पता करें

हाल ही, में 7 लाख कृषकों के खाते में 140 करोड़ रुपये की धनराशि हस्तांतरित की गई है। अगर आप भी मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के पात्र हैं तब आप ऑफिशियल साइट https://saara.mp.gov.in/ पर जाकर योजना की हस्तांतरित धनराशि की जाँच कर सकते हैं। 

ये भी देखें: जानें पीएम किसान योजना जी 13 वीं किस्त कब तक आएगी

  • सर्व प्रथम https://saara.mp.gov.in/ पर जाकर क्लिक बटन दबाएं।
  • वेबसाइट के होम पेज पर किसान स्वयं के आधार कार्ड या बैंक खाते नंबर दर्ज करें।
  • यहां पर वर्ष, जिले, तहसील, किस्त एवं स्वयं के गांव का चयन करें।
  • उसके बाद स्क्रीन पर गांव के समस्त किसानों की सूची स्वयं जाएगी।
  • यहां निज गांव के समीप अंकित संख्या पर क्लिक करके बैंक में हस्तांतरित धनराशि की जाँच कर सकते हैं।

किसान किस तरह से फायदा उठा सकते हैं।

अगर स्वयं आप भी मध्य प्रदेश निवासी हैं एवं निजी भूमि पर खेती किसानी करते हैं। तो मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत लाभ लेने हेतु अधिकार रखते हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करना बहुत ज्यादा सुगम है। 

यदि आप चाहें तो, सर्वप्रथम कृषि विभाग के कार्यालय में पहुँचकर योजना की पात्रता आदि के विषय में अवगत हो सकें। आप जब आवेदन करें उस समय किसान को स्वयं का आधार कार्ड, खेत का खसरा-खतौनी, निवास प्रमाण पत्र, पंजीकृत मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो। अगर पूर्व से ही आप प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से फायदा उठा रहे हैं, तब भी पंजीकरण के उपरांत डायरेक्ट आवेदन किया जा सकता हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बढ़ती जनसंख्या में खाद्य सुरक्षा के लिए आगाह किया

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बढ़ती जनसंख्या में खाद्य सुरक्षा के लिए आगाह किया

जनपद के सौंसर विकासखंड में विकास यात्रा के चलते मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने कृषि विभाग के माध्यम से आयोजित श्रीअन्न (Millets) और प्राकृतिक खेती के उत्पादों जिनमें मिलेट्स से बने कुकीज़, बिस्कुट व्यंजन के स्टॉल का नजारा लिया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विभाग लाभान्वित हितग्राही को मंच से हितलाभ मुख्यमंत्री जी के माध्यम से वितरित किये गये। इस उपलक्ष्य पर कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले, उप संचालक कृषि श्री जितेन्द्र सिंह और जनप्रतिनिधि मौजूद थे। मुख्यमंत्री जी को मिलेट्स से निर्मित उत्पादों के स्टाल पर सूचना व जानकारी उप परियोजना संचालक आत्मा श्रीमती प्राची कौतू ने प्रदान की। विभाग के सहायक संचालक श्री धीरज ठाकुर, श्री दीपक चौरसिया, श्री चौकीकर, श्रीमती सरिता सिंह, श्री सचिन जैन, श्री नीलकंठ पटवारी समेत बाकी अधिकारी मौजूद थे।

ये भी पढ़ें:
IYoM: मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा को अब गरीब का भोजन नहीं, सुपर फूड कहिये
अंतर्राष्ट्रीय फलक पर मध्यप्रदेश एवं इंदौर धूमकेतु की भाँति चमक रहा है। हाल ही में इंदौर में जी-20, कृषि कार्य समूह की प्रथम बैठक 13 से 15 फरवरी को समापन हुई। बैठक की शुरुआत सोमवार को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी। इसके चलते कृषि पर ध्यान से विचार-विमर्श किया। आखरी दिन चार तकनीकी विषयों ‘खाद्य सुरक्षा एवं पोषण’ ‘जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण सहित सतत कृषि ’, ‘समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखला एवं खाद्य प्रणाली’, एवं ‘कृषि परिवर्तन हेतु डिजिटलीकरण’ पर चर्चा हुई।

जनसँख्या में वृद्धि की वजह से खाद्य सुरक्षा व्यवस्थित होनी अति आवश्यक है

स्वयं के उद्घाटन भाषण के दौरान मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा जनसँख्या वृद्धि की वजह खाद्य सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया का केवल 12 फीसद भू-भाग कृषि के लायक है। साल 2030 तक खाद्यान्न की मांग 345 बिलियन टन तक पहुँच जाएगी। वहीं साल 2000 में यह मांग 192 बिलियन टन पर थी। जाहिर है, कि ना तो खेती की भूमि में बढ़ने वाली है एवं ना ही हमारे प्राकृतिक संसाधनों में वृद्धि होनी है। ऐसी स्थिति में कृषि लायक जमीन का समुचित इस्तेमाल एवं कृषि भूमि की पैदावार को बढ़ाने हेतु कोशिश करनी होगी। कृषि उत्पादन बढ़ाना है, तो डिजिटलाइजेशन, नवीन तकनीक मैकेनाइजेशन एवं नव बीज के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा देना होगा। पैदावार में वृद्धि सहित उत्पादन का खर्च कम करना भी बेहद जरुरी है। मुख्यमंत्री जी का कहना है, कि विश्व मे प्रत्येक चीज का विकल्प हो उपस्थित है। परंतु फल, सब्जी और अनाज का कोई विकल्प नहीं है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भी इस साल को मिलेट ईयर के तौर पर घोषित किया गया है। कोशिश करें कि यह पोषक अनाज भूमि से गायब न हो जाए। प्राकृतिक खेती की तरफ रुख करना बेहद आवश्यक है।

कृषि क्षेत्र के विकास हेतु यह तीन एस बेहद महत्वपूर्ण हैं

आपको बतादें कि 14 फरवरी की बैठक में कृषि पर विमर्श के सत्र में नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा उनके उद्घाटन भाषण के दौरान खेती किसानी में विकास हेतु 3एस टेम्पलेट – स्मार्ट, सर्व आल और सस्टेनेबल के विषय में चर्चा की। उन्होंने भारत की कृषि विकास चर्चा में ड्रोन की अहमियत पर भी ध्यान दिया।

ये भी पढ़ें:
इस खाद्य उत्पाद का बढ़ सकता है भाव प्रभावित हो सकता है घरेलु बजट
इश्यू नोट प्रस्तुति के चलते केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव श्री मनोज आहूजा ने मुख्य भाषण प्रस्तुत किया। खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण सहित अड़िग कृषि, समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखला एवं खाद्य प्रणाली और कृषि परिवर्तन हेतु डिजिटलीकरण के चार मुख्य विषयों को शम्मिलित करते हुए एडब्ल्यूजी हेतु इश्यू नोट पर प्रस्तुतियां व्यक्त की गईं। आमंत्रित देशों, सदस्य देशों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इश्यू नोट पर स्वयं की भावना व्यक्त की। जी- 20 सदस्य देशों एवं अतिथि देशों द्वारा भी जी- 20 कृषि एजेंडे पर विशेष गौर करते हुए द्विपक्षीय बैठकें कीं।
किसानों  के लिए इस राज्य सरकार की बड़ी घोषणाएं, फसलों के नुकसान पर मिलेगा इतना मुआवजा

किसानों के लिए इस राज्य सरकार की बड़ी घोषणाएं, फसलों के नुकसान पर मिलेगा इतना मुआवजा

पिछले 2 सप्ताह में मध्य प्रदेश में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने जमकर कहर ढाया है। इस दौरान राज्य में गेहूं, चना, सरसों और मसूर की खेती बुरी तरह से प्रभावित हुई है। ओलावृष्टि के कारण गेहूं की फसल खेतों में पूरी तरह से बिछ गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। पिछले सप्ताह ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए सर्वे के आदेश दिए थे। यह सर्वे पूरा हो चुका है और इसकी विस्तृत रिपोर्ट मध्य प्रदेश शासन को भेजी जा चुकी है। रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि सरकार 50 फीसदी तक बर्बाद हुई फसल पर 32 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा प्रदान करेगी। इसके अलावा किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ भी दिलवाया जाएगा। साथ ही फसलों को हुए नुकसान का सैटेलाइट से सर्वे भी करवाया जाएगा। जिसमें सरकार के तीन विभाग संयुक्त रूप से फसल के सर्वे का काम करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा है कि ओलावृष्टि से जिन किसानों की फसलों का व्यापक नुकसान हुआ है, उनसे फिलहाल कर्ज की वसूली नहीं की जाएगी। साथ ही अब कर्ज का ब्याज सरकार भरेगी। इस दौरान यदि किसी व्यक्ति की ओलावृष्टि या बिजली गिरने से मौत हो गई है तो उसके परिजनों को सरकार 4 लाख रुपये की सरकारी सहायता उपलब्ध करवाएगी।

गाय-भैंस की मृत्यु पर भी मिलेगी सहायता राशि

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि फसल के नुकसान के अलावा यदि आपदा के दौरान किसी की गाय या भैंस की मृत्यु हो गई है तो ऐसे लोगों को 37 हजार रुपये प्रति जानवर की दर से सहायता राशि उपलब्ध कारवाई जाएगी। इसके साथ ही भेड़-बकरी की मृत्यु पर 4 हजार रुपये तथा बछड़ा और बछिया की मृत्यु पर 20 हजार रुपये दिए जाएंगे। मुर्गा और मुर्गियों का नुकसान होने पर 100-100 रुपये दिए जाएंगे। यदि आपदा से किसी के घर को नुकसान हुआ है तो उसके घर की मरम्मत के लिए भी सहायता उपलब्ध कारवाई जाएगी। ये भी पढ़े: यहां मिल रहीं मुफ्त में दो गाय या भैंस, सरकार उठाएगी 90 फीसद खर्च

रबी फसल के लिए दोबारा रजिस्ट्रेशन करवा पाएंगे किसान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ऐसे किसान जिनकी फसल बर्बाद हो गई है और उनके घर में उनकी बेटी की शादी है। ऐसे किसानों को सरकार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत 56 हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करवाएगी। साथ ही कन्या के विवाह में भी सहयोग करेगी। इसके साथ ही जो किसान रबी की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं, ऐसे किसान फिर से अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। उनके लिए दोबारा पोर्टल खुलवाया जाएगा। ताकि कोई भी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ से छूटने न पाए।
इस राज्य सरकार ने सर्वाधिक फसल क्षति मुआवजा देने का दावा करते हुए, किसानों के खाते में 159 करोड़ भेजे

इस राज्य सरकार ने सर्वाधिक फसल क्षति मुआवजा देने का दावा करते हुए, किसानों के खाते में 159 करोड़ भेजे

विगत मार्च माह में हुई बेमौसम बारिश के साथ-साथ ओलावृष्टि से किसानों की फसल प्रचंड रूप से क्षतिग्रस्त हुई है। साथ ही, इस हानि के लिए प्रदेश सरकार भी किसानों की हर संभव सहायता कर रही है। फिलहाल, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के खाते में 159 करोड़ हस्तांतरित किए गए हैं। विगत खरीफ सीजन किसानों के लिए अनुकूल नहीं रहा था, क्योंकि बाढ़, बारिश एवं सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने किसानों को जमकर दुखी किया था। इस रबी के सीजन में किसानों को उपयुक्त पैदावार होने की संभावना थी। बतादें, कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान सहित बहुत सारे राज्यों में किसानों की फसल बिल्कुल चौपट हो गई थी। साथ ही, राज्य सरकारों के स्तर से भी किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। हाल ही, में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को बड़ी राहत प्रदान की है।

शिवराज सरकार ने 159 करोड़ की धनराशि आवंटित की है

मध्य प्रदेश में बेमौसम बारिश के साथ ओलावृष्टि के चलते बड़ी मात्रा में फसलें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। इसके अंतर्गत राज्य में प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारियों के स्तर से फसलीय क्षति का आंकलन किया जा रहा था। वर्तमान में ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश से दुष्प्रभावित हुई रबी फसलों का मुआवजा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदान किया है। मुख्यमंत्री की तरफ से 36 जिलों के 1 लाख 48 हजार किसानों के खातों में 159 करोड़ 52 लाख रुपये की धनराशि प्रदान की है। ये भी पढ़े: अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

प्रदेश में किसानों को सर्वाधिक मुआवजा दिया जाता है : शिवराज सिंह चौहान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कहना है, कि प्रदेश सरकार किसान भाइयों को असहाय स्थिति में अकेला नहीं छोड़ेगी और ना ही उनको किसी तरह की हानि होने देगी। मध्य प्रदेश सरकार प्रत्येक संकट की घड़ी में किसानों के साथ खड़ी है। भारत में मध्य प्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां के किसान भाईयों की फसलीय हानि होने की स्थिति में सर्वाधिक मुआवजा प्रदान किया जाता है। इस बार भी किसानों को धनराशि जारी करने में किसी भी प्रकार का कोई विलंभ नहीं किया जाएगा।

किसानों के परिश्रम से ही हर घर तक अनाज पहुँचता है

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी का कहना है, कि दिन रात परिश्रम कर किसान अपनी फसल जोतते हैं। किसान भाई ना तो आंधी, बारिश देखते हैं और ना ही ताप, धूप को देखते हैं। देश के प्रत्येक घर तक अनाज किसानों के अथक परिश्रम की बदौलत ही पहुँच पाता है। जब किसान भाई अपने परिश्रम से पीछे नहीं हट रहा है, तो राज्य सरकार भी उनकी सहायता करने से पीछे नहीं हटेगी। भविष्य में भी फसल क्षति का आंकलन शीघ्र अतिशीघ्र सम्पन्न कराकर कृषकों को मुआवजा प्रदान किया जाता रहेगा।
मध्य प्रदेश सरकार अब से किसान कल्याण योजना के तहत 4 की जगह 6 हजार रुपए की धनराशि देगी

मध्य प्रदेश सरकार अब से किसान कल्याण योजना के तहत 4 की जगह 6 हजार रुपए की धनराशि देगी

मध्य प्रदेश के कृषक भाइयों के लिए सरकार द्वारा Kisan Kalyan Yojana में एक बड़ा परिवर्तन किया है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि किसानों को 4 हजार के स्थान पर 6 हजार रुपए दिए जाऐंगे। आज हम इस लेख में आपको योजना की धनराशि किस तरह मिलेगी इसके बारे में आपको जानकारी प्रदान करेंगे।

किसान कल्याण योजना

दरअसल, कृषकों के लिए समस्त राज्य सरकार आए दिन कोई न कोई योजना जारी करती रहती हैं। जैसा कि आप जानते हैं, कि आने वाले समय में मध्य प्रदेश के अंदर विधानसभा चुनाव (Assembly Elections ) होने वाले हैं। इसकी तैयारियां राज्य सरकार ने पहले से ही करनी शुरू कर दी हैं। बतादें, कि किसानों की सहायता व विधानसभा चुनाव में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के द्वारा शुरू की गई ‘किसान कल्याण योजना’ (Kisan Kalyan Yojana ) के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

ये भी पढ़ें:
इस राज्य में पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत 6 नहीं 10 हजार की धनराशि मिलेगी जानकारी के लिए बतादें, कि मध्य प्रदेश कैबिनेट ने वर्ष 2023-24 में इस योजना के लिए पात्र किसानों को आत्मनिर्भर व खेती-बाड़ी में शक्तिशाली बनाने के लिए 6,000 रुपए के भुगतान को स्वीकृति दे दी है।

KKY भुगतान धनराशि में हुआ इजाफा

किसान कल्याण योजना के अंतर्गत सरकार के द्वारा किसान भाइयों को 2 समान किश्तों में कुल 4 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है। जो कि 1 अप्रैल से 31 अगस्त और 1 सितंबर से 31 मार्च के माह में प्रदान किए जाते थे। परंतु, सरकार ने योजना की धनराशि 4 हजार रूपए से बढ़ाकर 6 हजार रुपए कर दी है। यह धनराशि किसान भाइयों को 3 किश्तों के अंतर्गत मिलेगी।

ये भी पढ़ें:
अब किसान ऐप से कर सकेंगे किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की ई-केवाईसी प्रक्रिया
  • पहली किश्त- 1 अप्रैल से 31 जुलाई
  • दूसरी किश्त- 1 अगस्त से 30 नवम्बर
  • तीसरी किश्त- 1 दिसम्बर से 31 मार्च

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह विभिन्न योजनाऐं जारी की हैं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ना केवल किसान कल्याण योजना (Kisan Kalyan Yojana) को मंजूरी दी है। बल्कि बाकी बहुत सारी सरकारी योजनाओं व कार्यों को भी स्वीकृति दे दी है। जैसे कि मध्य प्रदेश में लड़कियों की शिक्षा (Girls Education) में सुधार करने के लिए राज्य में नए स्कूल खुलेंगे। सरकार ने लगभग 19 कन्या शिक्षा परिसरों के विकास पर अपनी मोहर लगा दी है। मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत 1362.91 करोड़ रुपये के खर्च से 37 स्कूलों का निर्माण किया जाएगा।